Number System ( संख्या पद्धति ):- अंकगणित प्रणाली संख्या को व्यक्त करने के लिए एक लेखन प्रणाली है जो किसी दिये गये सेट की संख्या का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक गणतीय संकेतन ,अंको या प्रतीकों का उपयोग कर रहा है | प्रतीकों का एक ही क्रम अलग - अलग संख्या को उदासीन अंक प्रणाली का प्रतिनिधित्व करता है |
दैनिक जीवन के प्रत्यके क्षेत्र से संख्याए किसी न किसी रूप से जुड़ी रहती है जीवन के अनेक कार्यो में गिनने की आवश्यकता पङती है अपने कक्षा में मित्रो की संख्या ,क्रिकेट मैच मे किसी टीम द्वारा बनाये गये रनो की संख्या ,वार्षिक परीक्षा मे प्राप्त कुलअंको की संख्या आदि,मोबाइल नम्बर पैन कार्ड नम्बर ,आदि इसी प्रकार अन्य भी अनेक क्रिया -कलाप होते है, उक्त को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग करते है उन्हें गिनती की संख्या कहते है
संख्या :- कितनी वस्तुएं है का बोध होता है उसे संख्या कहते है |
संख्यांक :-संख्याओं को जिन संकेतो द्वारा व्यक्त करते है उन्हें संख्यांक कहते है ,संख्यांक अर्थ संख्या को लिखने के लिए प्रयुक्त अंक है |
जैसे -संख्या चार का संकेत 4 द्वारा व्यक्त किया जाता है जो एक संख्यांक है
जैसे -एक से नौ तक की संख्याओं का संख्यांको (संकेतो )द्वारा विभिन्न लिपियों में दर्शाये गये है |
देवनागरी - १ | २ | ३ | ४ |५ |६ | ७ | ८ | ९ |
अंतर्राष्ट्रीय- 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
रोमन - I, II, III,IV, V, VI, VII, VIII, IX,
दाशमिक प्रणाली (Decimal system ):- हमें दैनिक कार्यो मे जिस संख्या पध्दति का प्रयोग होता है ,उसे लिखने के लिए हम ०,१,२,३,४,५,६,७,८,९,का प्रयोग करते है इसलिए इस संख्या पध्दति को दाशमिक संख्या प्रणाली या हिन्दू -अरैबिक प्रणाली कहते है|
दाशमिक प्रणाली की विशेषताए : -(1 ) इसमें संख्याओ को लिखने हेतु दस प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है | ( 2 ) इसमें संख्याओ को लिखने के लिए दाई ओर से बाई ओर चलते है, दस लाख, लाख, दस हजार, हज़ार,सैकङा , दहाई ,इकाई (3 ) इसमे बाई के इकाई से जितना दाई ओर आगे बढ़ेगे उतना ही अंको के मान में दस गुना वृध्दि होती जाती है
अंको के मान प्रकार :- किसी भी संख्या में प्रयुक्त प्रत्येक अंक के कुल दो प्रकार के होते है | (1 )-वास्तविक मान (Actual value )
(2 )-स्थानीय मान ( Place value )
वास्तविक मान :- वह मान जो कभी नहीं बदलता है , किसी भी संख्या का वास्तविक मान हमेशा स्थिर रहता है ,इसे शुध्द मान ,जातीय मान , अंकित मान भी कहते है |किसी संख्या में अधिक बार आए अंक का वास्तविक मान सामान होगा | जैसे -(1 ) संख्या 55235 में अंक 5 के तीन स्थानों का वास्तविक मान 5 ही होगा | जैसे -(2 )संख्या 7237 में अंक 7 के दोनों स्थानों के वास्तविक मान 7 ही होगा |
स्थानीय मान :- किसी संख्या में किसी अंक के स्थान के अनुसार जो मान होता है उसे स्थानीय मान कहते है ,किसी संख्या में एक से अधिक बार आए अंक का स्थानीय मान भिन्न -भिन्न होता है ,जैसे -54561 में 5 का स्थानीय मान है दाये से बाये जाने प्रथम 5 का स्थानीय मान 5 x 100 =500 तथा दूसरे 5 का स्थानीय मान 5 x10000 =50000 है
संख्याओं के प्रकार :-
प्राकृतिक संख्याए (Natural numbers ):-वे संख्याए जिनसे किसी वस्तुओं की गणना की जाती है उन्हें प्राकृतिक संख्याए कहते है ,इसको n से प्रदर्शित करते है | जैसे-1 ,2 ,3 ,4 ,5 ,6 7 ,8 ,9 ,------------------------------ ∞ | प्राकृतिक संख्याए को पूर्णांक भी कहते है
विशेषताए :-(1 )शून्य प्राकृतिक संख्या नहीं है (2 )कोई ऋणात्मक संख्या नहीं होती है ,जैसे-,-1 ,-2 ,-3 ,-4 ,-5 ,--------------------∞
( 3 )विभात्मक संख्या प्राकृतिक नहीं होती है,जैसे -2 /7 ,3 /8 (4 )सबसे छोटी प्राकृतिक संख्या 1 होती है,1 की कोई अनुवर्ती एवं पूर्ववर्ती प्राकृतिक संख्या नहीं होती है | (5) किसी प्राकृतिक संख्या के ठीक बाद वाली प्राकृतिक संख्या उसकी अनुवर्ती संख्या होती है , किसी प्राकृतिक संख्या में 1 जोड़ने से उसकी अनुवर्ती प्राकृतिक संख्या प्राप्त होती है | जैसे :- 7 9 +1 =80 ,100 +1 =101
(6 )किसी प्राकृतिक संख्या के ठीक पहले वाली प्राकृतिक संख्या उसकी पूर्ववर्ती संख्या होती है ,किसी प्राकृतिक संख्या में 1 घटाने से उसकी पूर्ववर्ती प्राकृतिक संख्या प्राप्त होती है | जैसे- 75 -1 =74 , 88 -1 =87
पूर्ण संख्याए (Whole Number ) :-प्राकृतिक संख्याओ के समूह में शून्य को शामिल करने के बाद संख्याओ का जो समूह बनता है उसे पूर्ण समूह को प संख्याए कहते है | जैसे - ०,1 ,2 ,3 ,4 ,5 ,6 ,7 ,8 ,9,-------------- ∞
इन संख्याए का प्रयोग योग ,घटना ,गुणा ,भागा के रूप में प्रयोग किया जाता है |
पूर्णाक संख्याए (Integers ):-प्राकृतिक संख्याओं 1 ,2 ,3 ,4 ,------के संगत -1 ,-2 ,-3 ,-4 ,--------नयी संख्याए बन जाती है ,इस प्रकार पूर्ण संख्याओं का विस्तारित संग्रह पूर्णांकों का संग्रह कहलाता है दैनिक जीवन में पूर्णांकों की आवश्यकता होती है ,जिसमे आय -व्यय ,लाभ -हानि ,उतार -चढाव , ऊपर-नीचे हेतु के प्रयोग किया जाता है
< -----4 ,-3 ,-2 ,1 ,0 ,1 ,2 ,3 ,4------>
0 से दाहिने ओर और 0 से वाये ओर क्रमशः + और - चिन्हों द्वारा व्यक्त करते है
पूर्णांक के प्रकार :-- (1 )धन पूर्णांक (2 )ऋण पूर्णांक (3 ) शून्य पूर्णांक
धन पूर्णंक (Positive Integers ):- प्राकृतिक संख्याओं को धन पूर्णांक कहते हैं इसे Z+से प्रदर्शित करते हैं, प्रत्येक धन पूर्णांकः समस्त ऋण पूर्णांकों से बङा होता हैं
1 ,2 ,3 ,4 ,5 ,6 ,7 ------------- ∞
ऋण पूर्णांक (Negative Integers ):-ऋण चिन्ह युक्त प्राकृतिक संख्याओं को ऋण पूर्णांक कहते हैं ,इसमें सबसे छोटी संख्या - ∞ है जो प्राप्त नहीं की जाती है
-1 ,-2 ,-3 ,-4 ,-5 ,-6 ,-------------------- -∞
शून्य पूर्णांक :-इसका संकेत o है ,यह सबसे छोटी अंक है | किसी संख्या में शून्य को जोड़ने या घटाने में उसके मान में परिवर्तन नहीं होता है
जैसे - 4321 +0 =4321
4422 -0 =4422
किसी संख्या में शून्य से गुणा करने पर गुणनफल सदैव शून्यआता है ,- जैसे - 424 x 0 =0 , 9876 x 0 =0
किसी पूर्ण संख्या में शून्य से भाग देने परिभाषित नहीं होती है ,जैसे - 768 ÷0 अपरिभाषित है
सम संख्याए (Even Number ):-वे संख्याए जो 2 से भाग देने पर पूर्णतः विभाजित हो जाती है उसे सम संख्याए कहलाती है यह दो प्रकार की होती है (1 )धन सम संख्याए (Positive even number ),जैसे -2 ,4 ,6 ,8 ,10 ,12 ,-----------------∞
(2 )ऋण सम संधन ख्याए (Negative even n,umber )जैसे -2 ,-4 ,-6 ,-8 ,-10 ,---------------
विषम संख्याए (Odd number ):-वे संख्या जो 2 से पूर्णतः विभाजित नही होती है उसे विषम संख्याए कहते है , यह दो प्रकार की होती है | (1 )धन विषम संख्याए :- 1 ,3 ,5 7 ,----------------∞ (2 )ऋण विषम संख्याए ;- -1 ,-3 ,-5 -7 ---------------∞ भाज्य संख्याए (Composite number );-वे संख्या जो 1 तथा स्वमं के अलावा भी किसी अन्य संख्या से पूर्णतः विभाजित हो जाय उसे भाज्य संख्याए कहते है ,ये कम से कम तीन संख्या से विभाजित हो ,इन्हे यौगिक संख्याए भी कहते है ,जैसे -6 ,8 ,9 ,10 ,12 -------- 6 =1 x 2 x 3 ,8 =1 x 2 x 4 ,9 =1 x 3 x 3 अभाज्य संख्याए (Prime number );-वे संख्याए जो अपने तथा 1 के अलावा किसी अन्य संख्या से पूर्णतः विभाजित न हो उसे अभाज्य संख्याए कहते है ,जैसे -2 ,3 ,5 ,7 -------वे केवल दो संख्या से विभाजित होते है | 2 =1 x 2 ,3 =1 x 3 क्रमागत संख्याए (Consecutive number ):-वे संख्याए जो एक दूसरे के बाद एक निर्धारित क्रमानुसार आती है उसे क्रमागत संख्याए कहलाती है | जैसे -1 ,2 ,3 ,4 ,5, 6 ,7 ,---------- क्रमागत संख्याओं के प्रकार :- (1 )क्रमागत धन पूर्णांक 1 , 2 ,3 ,4 ,---------- (2 )क्रमागत ऋण संख्याए -4 ,-3 ,-2 ,-1 ---- (3 ) क्रमागत सम संख्याए 2 ,4 ,6 ,8 , 10 ,----------- ( 4 ) क्रमागत विषम संख्याए 1 ,3 ,5 ,7,---- परिमेय संख्याए (Rational number )-:जो संख्या P /q के रूप में लिखी जाने वाली संख्याए परिमेय संख्याए कहलाती है जहा p तथा q पूर्णांकहै तथा q ≠0 जैसे -१/3 ,5 /8 ,7 /1 , अपरिमेय संख्याए( Inrational number ):- वह संख्या जो p /q के रूप में व्यक्त नहीं की जाती है उसे अपरिमेय संख्याए कहते है p /q ,q =0 , जैसे √2 ,√5 , √7 ,
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